Monday, February 29, 2016

चंद शब्द

लिखे थे अल्फ़ाज़ कुछ हमने भी,
सब अशको से हमारे धुल गये,
ये काली स्याही है या काजल,
अब कोई ग़ैर हि बताये,
ये पानी के सागर इन पन्नो पर,
अब सूख जाएँगे जल्द ही,
पन्नो पर निशान बस रह जाएँगे,
ऊबड़ खाबड़  से कुछ,
जैसे हमारे दिल के नासाज़ ज़ख़्म ,
कुछ भरे से और कुछ लाल सुर्ख

No comments: