लिखती हूँ आज तुम्हारी खिदमत में मैं कुछ
होंसला तो किया है
ऐसे व्यक्तित्व को कागज पर उतारना आंसा नहीं
सो भूल कुछ हो जाये तो मेरी कोई खता नहीं
तुमसे मिली थी पहली बार
कॉफ़ी की उस दुकान पर
मिलाया था उस दोस्त ने
जिसकी मैं आज भी हूँ शुक्रगुजार
बात तो की तुमने मुझसे
बस नजरें थी तुम्हारी कही ओर
और मुख पर था शर्मीलेपन का नकाब
प्यार आता है तबसे तुम पर
बात या कई बार बिना बात
मिलना जुलना अक्सर होता रहा फिर
मुलाकातों के बाद और कई हुई मुलाकात
दोस्ती गहराती गयी
और हाथ पकड़ कर चलने लगे हम एक दूसरे के साथ
मोड़ आये कुछ ऐसे, की छोड़ दिए हमने वो हाथ
भाई बनाया था तुम्हे
पर निभा ना पायी वो जजबात
आज भी शर्मिंदा हूँ,
की काश उन पलो को वापस जी लू, हो के तुम्हारे साथ
याद किया बहोत उस वक़्त भी
बहा कर आंसुओ में अपने हालात
वक़्त निकलता गया
तुम अपने रास्ते चले और मैं अपने
तुम्हारे भी कदम बढे
और मेरे भी सजे कुछ सपने'
खबरे तो मिलती रही तुम्हारी
और मेरी पहोचती रही तुम तक
यही था जरिया बस
दोस्ती निभती रही शायद फिर भी
मिले हम रास्ते पर फिर से एक बार
इस बार बढ़ कर पकड़ लिया तुमने मेरा हाथ
और लिपट गयी मैं भी
खुशियों से हो कर सरोबार
साथ बिताये काफी लम्हे
की खूब मस्तिया भी
समझ आ गया हमें
की इस दोस्ती की अब परवाह नहीं
प्यार है इतना की आंधियो से भी ये मिटे नहीं
तुम और तुम्हारी बातें अक्सर याद आती है
आंखें ढूंढती है उन्हें जो हर वक़्त मुस्कुराते है
कोई ऐसी बात नहीं जो हमने कही ना हो
कोई ऐसा सवाल नहीं जो तुम्हारे सामने बेवजह गया हो
तुम्हारे प्यार दिखाने के तरीके अलग है
आज भी याद अगर करूँ तो गुदगुदा पड़ती हूँ
कहते हो तुम की तुम्हारा प्रतिबिम्ब मुझमे दिखता है
तुम्हारे प्रतिबिम्ब के सामने मेरा अस्तित्व ऐसा है
जैसे सूरज के सामने एक दीपक
जैसे समुद्र के सामने वो एक बूँद
जैसे पर्वतो के सामने एक टीला
जैसे तूफां के सामने एक झोका'
जैसे तू हवा महल और मैं झरोखा
तुम मुस्कुरा दो तो फूल खिलखिला पडे
तुम चल पड़ो तो हवाएं मुड जाये
तुम ठान लो तो शिखर भी सर झुकाए
तुम कह दो तो कोयल भी खिलखिलाए
तुम रुख करो तो बादल भी बरसाए
प्यार के स्रोत हो तुम
साधारण जीवन की मिसाल
मचलते समुद्र का किनारा
और ठंडक ऐसी जैसे वर्षा की पहली फुहार
माटी से जो मीठी खुशबू आती है ना
वो वातावरण ले कर चलते हो तुम अपने साथ
मुश्किलों में होंसला हो
दोस्तों में दोस्त
और मेरे जीवन की बहार
होंसला तो किया है
ऐसे व्यक्तित्व को कागज पर उतारना आंसा नहीं
सो भूल कुछ हो जाये तो मेरी कोई खता नहीं
तुमसे मिली थी पहली बार
कॉफ़ी की उस दुकान पर
मिलाया था उस दोस्त ने
जिसकी मैं आज भी हूँ शुक्रगुजार
बात तो की तुमने मुझसे
बस नजरें थी तुम्हारी कही ओर
और मुख पर था शर्मीलेपन का नकाब
प्यार आता है तबसे तुम पर
बात या कई बार बिना बात
मिलना जुलना अक्सर होता रहा फिर
मुलाकातों के बाद और कई हुई मुलाकात
दोस्ती गहराती गयी
और हाथ पकड़ कर चलने लगे हम एक दूसरे के साथ
मोड़ आये कुछ ऐसे, की छोड़ दिए हमने वो हाथ
भाई बनाया था तुम्हे
पर निभा ना पायी वो जजबात
आज भी शर्मिंदा हूँ,
की काश उन पलो को वापस जी लू, हो के तुम्हारे साथ
याद किया बहोत उस वक़्त भी
बहा कर आंसुओ में अपने हालात
वक़्त निकलता गया
तुम अपने रास्ते चले और मैं अपने
तुम्हारे भी कदम बढे
और मेरे भी सजे कुछ सपने'
खबरे तो मिलती रही तुम्हारी
और मेरी पहोचती रही तुम तक
यही था जरिया बस
दोस्ती निभती रही शायद फिर भी
मिले हम रास्ते पर फिर से एक बार
इस बार बढ़ कर पकड़ लिया तुमने मेरा हाथ
और लिपट गयी मैं भी
खुशियों से हो कर सरोबार
साथ बिताये काफी लम्हे
की खूब मस्तिया भी
समझ आ गया हमें
की इस दोस्ती की अब परवाह नहीं
प्यार है इतना की आंधियो से भी ये मिटे नहीं
तुम और तुम्हारी बातें अक्सर याद आती है
आंखें ढूंढती है उन्हें जो हर वक़्त मुस्कुराते है
कोई ऐसी बात नहीं जो हमने कही ना हो
कोई ऐसा सवाल नहीं जो तुम्हारे सामने बेवजह गया हो
तुम्हारे प्यार दिखाने के तरीके अलग है
आज भी याद अगर करूँ तो गुदगुदा पड़ती हूँ
कहते हो तुम की तुम्हारा प्रतिबिम्ब मुझमे दिखता है
तुम्हारे प्रतिबिम्ब के सामने मेरा अस्तित्व ऐसा है
जैसे सूरज के सामने एक दीपक
जैसे समुद्र के सामने वो एक बूँद
जैसे पर्वतो के सामने एक टीला
जैसे तूफां के सामने एक झोका'
जैसे तू हवा महल और मैं झरोखा
तुम मुस्कुरा दो तो फूल खिलखिला पडे
तुम चल पड़ो तो हवाएं मुड जाये
तुम ठान लो तो शिखर भी सर झुकाए
तुम कह दो तो कोयल भी खिलखिलाए
तुम रुख करो तो बादल भी बरसाए
प्यार के स्रोत हो तुम
साधारण जीवन की मिसाल
मचलते समुद्र का किनारा
और ठंडक ऐसी जैसे वर्षा की पहली फुहार
माटी से जो मीठी खुशबू आती है ना
वो वातावरण ले कर चलते हो तुम अपने साथ
मुश्किलों में होंसला हो
दोस्तों में दोस्त
और मेरे जीवन की बहार
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