शुरुआत तो बस एक चिंगारी भर से हुई थी,
एहसास हुआ था मुझे, की साथ बस इतना नहीं हमारा,
पर हर गुजरते पल के साथ एक सोच ठिठकती है मन में,
क्या अर्थ है हर गुजरते दिन का साथ में,
क्या दिशा दे पाउंगी मैं इस मोहब्बत को,
क्या कुछ हो पायेगा हमारे दरमियाँ,
क्या ठीक है मेरा तुम्हारे साथ होना,
तुम्हे तो पता भी नहीं ये सोचती हूँ मैं,
शायद तुम भी सोचते हो।